CRIMETAK
जर्मनी के Munich City में ये Olympic हो रहा था,और इस Olympic को शुरू हुए करीब एक हफ्ता बीत चुका था ! दुनिया भर के खिलाडी जो Olympic में हिस्सा लेते है, वो हिस्सा ले रहे थे, इसमें इजराइल की टीम भी शामिल थी! पहला एक हफ्ता Olympic का बहुत ही शांतिपूर्ण बीता, लेकिन एक हफ्ते बाद ‘5 September 1972’ को ये वो दिन जिसे Israel कभी नहीं भूलता! और इसी दिन से इजराइल ने बुनियाद रही थी इस operation की जो करीब 20 वर्षो तक चला, और न जाने यूरोप के कितने ही देशो में चला!
ये हुआ था की ‘5 September 1972’ को Olympic में 8 लोग Tracksuit पहने हुए उस Olympic की दीवार को फांदने की कोशिस केर रहे थे, और उनके लिबास से लग रहा था की वो भी Olympic के खिलाडी है, और किसी देश के खिलाड़ी है, जो यहाँ आये हुए है! इत्तेफाक से कनाडा के कुछ खिलाडी ने इन्हे देखा जिन्होंने Tracksuit पहना हुआ था , और जो दीवार फांदने की कोशिस केर रहे थे ! उन्हें लगा की शायद ये किसी देश के खिलाडी है जो Olympic में हिस्सा लेने आये हुए है, जो दीवार फांदने की कोशिस केर रहे है पर इनसे दीवार Jump नहीं हो रही है! उन 8 खिलाडी की अनजाने में दीवार फांदने में मदद केर दी
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ये सोच केर की ये भी खिलाडी है , इसके बाद वे कनाडा के खिलाडी चले जाते है, अब ये Tracksuit पहने हुए लोग अंदर पहुंचते है शायद उनके पास जानकारी थी कि इजराइल के खिलाड़ियों के कमरे किधर है, इसके बाद ये इजराइल के खिलाड़ियों के कमरे की तरफ बढ़ते है, और इनके कपड़ो के अंदर तमाम हथियार छुपे हुए थे, ये इजराइली खिलाडी की तरफ जाते है, और उन्हें ढूंढ़ना शुरू केर देते है । उनमे कुछ इजराइल के पहलवान भी थे जो इनकी गोली चलाने पर इनका चाक़ू से मुकाबला करता है मगर इस गोलीबारी से इजराइल के दो खिलाडी मारे जाते है, बाकी 9 खिलाडी को ये बंधक बना लेते है ।
ये जो Tracksuit पहने हुए 8 लोग जो थे दरअसल खिलाडी नहीं थे, बल्कि Palestine Liberation Organisation के लोग थे । बंधक बनाने के बाद चूँकि Olympic में अफरा तफरी मच चुकी थी । जर्मनी के सरकार परेशान थी, उसके बाद उनकी डिमांड सामने आती है, की इजराइल की जेल में Palestine Liberation Organisation के जो 234 लोग कैद है, उनको रिहा किया जाये । मगर इजराइल के अंदर ये कानून है किसी दुश्मन के साथ कोई समझौता नहीं करता । इजराइल ने बिना देर किये समझौते से फौरन मना कर दिया की वो कोई समझौता नहीं करेगा । जब ये पैगाम यहाँ पहुँचता है, तो इन Palestine Liberation Organisation के लोगो ने जो दो खिलाडी मर चुके थे उनकी लाशो को बाहर फेंक दिया और कहा अगर तुमने हमारी बात नहीं मानी तो हम बाकी खिलाडी को भी इसी तरह मार देंगे । जर्मनी की Authority उन खिलाडी की लाशो को उठा कर ले गयी ।
लेकिन इतना कुछ होने बाद भी इजराइल का इरादा नहीं बदला । वो किसी तरह की बात करने के लिए तैयार नहीं था । उस वक़्त Golda Meir इजराइल की प्रधानमंत्री थी । अब सोचने की बात ये थी कि Olympic में हमले के बाद क्या
सूरतेहाल होगी कि इजराइल क्या करेगा जबकि उसके खिलाडी कैदी बन चुके है। मगर इजराइल ने साफ़ तोर पर इंकार कर दिया की वो किसी तरह का समझौता नहीं करेगा ।
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मगर इसी बीच इजराइली सरकार ने जर्मनी कि सरकार से से दरख्वास्त कि के वो Munich में अपनी स्पेशल फोर्सेज को भेजना चाहता है, और वो एक Operation के जरिये अपने खिलाडी को आजाद कराना चाहता है। इसकी इजाजत जर्मनी कि सरकार दे ( क्योंकि किसी भी देश में अपनी फोर्सेज भेजने के लिए उस देश की सरकार की इजाजत की जरुरत होती है )। मगर जर्मनी की सरकार ने ये सोच कर की Olympic में कई देशो के खिलाडी है, कही ज्यादा खून ख़राबा न हो जाये। इजराइल के लिए ये रास्ता भी बंद हो गया था। काफी वक्त बीतने के बाद Palestine Liberation Organisation को लगा की इजराइल शायद उनकी शर्त नहीं मानेगा। उन्होंने अचानक अपनी शर्त बदली और कहा कि हमें Munich से निकल जाने कि इजाज़त दो और हम इन इजराइली खिलाडी को बंधक बनाकर ले जायँगे ।
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